69000 Shikshak Bharti court update today 16 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 2019 में हुई 69000 शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 3 माह के अंतर्गत नई मेरिट लिस्ट जारी करने का भी आदेश दिया है। ऐसे में 2019 में भर्ती हुए हजारों शिक्षकों की सरकारी नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है। जो की एक बहुत ही चिंता का विषय है।
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69000 Shikshak Bharti -लखनऊ हाईकोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती में फैसला सुनाते हुए मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है, और सरकार को 3 माह के अंतर्गत पुणे नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है । हाई कोर्ट ने आदेश दिया है की नई मेरिट लिस्ट रिजर्वेशन पॉलिसी 1981 और रिजर्वेशन एक्ट 1994 के तहत बनाई जाए । ऐसे में नई लिस्ट बनने पर हजारों उत्तर प्रदेश शिक्षकों की सरकारी नौकरी खतरे में आ गई है।
हालांकि हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया है की नई मेरिट लिस्ट से यदि कोई शिक्षक प्रभावित होता है। तो ऐसे में उसे शिक्षक को अकादमिक सत्र 2024-25 में नौकरी से न हटाया जाए, जिससे कि छात्रों के पढ़ाई पर कोई भी असर ना हो।
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69000 Shikshak Bharti -इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एडवोकेट बिरहा गुप्ता ने बताया की जिन शिक्षकों का नई मेरिट लिस्ट में नाम नहीं आएगा उन्हें सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार होगा। यदि सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाता है। तो फाइनल वर्डिक्ट आने तक किसी भी शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी। हालांकि अभी किसी भी शिक्षक को यह नहीं पता है, कि किसकी नौकरी जाने वाली है सुप्रीम कोर्ट में कैसे तभी हो सकता है। जब नई मेरिट लिस्ट आ जाए और पता चल जाए कि किसी शिक्षक का नाम नहीं मेरिट लिस्ट में नहीं है।
यूपी 69000 शिक्षक भर्ती मामला क्या है
वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन भर्ती जारी किया गया था । जिसमें 4,10,000 शिक्षकों ने आवेदन किया था। 2020 में भर्ती परीक्षा का रिजल्ट आया जिसमें 1,47,000 कैंडिडेट परीक्षा में पास हुए। इसमें 1,10,000 कैंडिडेट रिजर्व कैटेगरी से थे। इस मेरिट लिस्ट के आधार पर ही 69,000 शिक्षकों का चयन हुआ था ।
मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद कुछ उम्मीदवारों ने चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। अशोक यादव नाम के कैंडिडेट ने चयन प्रक्रिया में रिजर्वेशन एक्ट का पालन न करने और 18,998 उम्मीदवारों को ओबीसी का आरक्षण न मिलने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। अशोक यादव के अनुसार ओबीसी वर्ग के कैंडिडेट को 27% आरक्षण के बजाय सिर्फ 3% की आरक्षण मिला था। जिसे कोर्ट ने आरक्षण में गड़बड़ी बताया। जिस याचिका पर सुनवाई करते हुए अब हाई कोर्ट ने मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है।
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